शिव जी हीरो बनोॅ हो-41 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
कजरी-दीपचन्दी
गे माई आबी गेलै फागुन मास।।
गे माई भइया कॅ भेजोॅ भैया कॅ भेजोॅ हमरा कॅ लेतै बोलाब।
केना हम्में भेजबौ भैया कॅ बेटी भैया तोरोॅ बारोॅ कुमारोॅ
बड़ी रे दूर तोरोॅ ससुरोॅ के नगरी रस्ता जैतै भुतलाय।।
भइया नहिं अइतै तॅ बाबा के भेजें हमरा कॅ लेतै बोलाय
गे माई आबी गेलै फागुन मात।।
केना हे बेटी बाबा तोरोॅ जइतौ बाबा छौ बूढ़ोॅ अपार
गे बेटी बाबा छौ बूढ़ा अपार
बड़ी रे दूर तोरोॅ ससुरोॅ के नगरी रस्ता जैतै भुतलाय।।
बाबा नै अइतै तॅ मामा कॅ भेजें मामा लॅ जइतै बोलाय
गे माई आबी गेलै सावन मास।।
मामा केॅ केना भेजबौ गे बेटी मामी के मामा गुलाम
बड़ी रे दूर तोरोॅ ससुरोॅ के नगरी मामी के मामा गुलाम।।
कहरवा
साबन भादोॅ ऐलोॅ छै झम झम पानी बरसैछै
झिंगुर दादुर गावैछै जी मानरोॅ मेघ बजावैछै।।
बरखा के जी रात अंधरिया तनियोटा नै सूझैछै
बिजुरी चमकी चमकी कॅ रस्ता पैड़ा दिखलावैंछै।।
बाहर भीतर भिंजलोॅ छै जी छौनी छप्पर चूऐछै
बच्चा बुतरु कहां जे रहतै कुच्छू नै अक्किल सूझै छै
चूल्होॅ चक्की भिंजलोॅ छै नुनुआ खायलॅ कानैछै
माय कहैछै सुतेंगे नुन्नू होभॅ हुंड़रवा बोलैछै।।
देस के हालत कबॅ सुधरतै कबतक खायलॅ लोग तरसतै
दसा देखी केॅ जालोॅ के नैना झमझम झमझम बरसैछै।।