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शीश झुकाने को कहते हैं क्या कह दें / महेश कटारे सुगम
Kavita Kosh से
शीश झुकाने को कहते हैं क्या कह दें ।
पैर दबाने को कहते हैं क्या कह दें ।।
फेंक रहे हैं जाल प्रलोभन का हम पर
आग लगाने को कहते हैं क्या कह दें ।
मर कर और मार कर बेबस लोगों को
धर्म बचाने को कहते हैं क्या कह दें ।
नकल खतौनी की माँगो तो बदले में
घूस चढ़ाने को कहते हैं क्या कह दें ।
अधिकारी का मन बहलाने को कमसिन
लेकर आने को कहते हैं क्या कह दें ।
झूठी नहीं गवाही दी दारोगा जी
सबक़ सिखाने को कहते हैं क्या कह दें ।
बाहुबली आतंक मचाते फिरते हैं
हुक़्म बजाने को कहते हैं क्या कह दें ।
26-02-2015