निर्धन
निरीह
गर्हित गरीब,
शोषण के मारे सभी लोग,
पुराकाल से
शून्य शून्य का
जोड़ रहे हैं
योग
रचनाकाल: २५-०४-१९७६, मद्रास
निर्धन
निरीह
गर्हित गरीब,
शोषण के मारे सभी लोग,
पुराकाल से
शून्य शून्य का
जोड़ रहे हैं
योग
रचनाकाल: २५-०४-१९७६, मद्रास