खुसरो के हृदय का उदगार है हिन्दी ।
कबीर के दोहों का संसार है हिन्दी ।।
मीरा के मन की पीर बनकर गूँजती घर-घर ।
सूर के सागर- सा विस्तार है  हिन्दी ।।
जन-जन के मानस में, बस गई जो गहरे तक ।
तुलसी के 'मानस' का विस्तार है हिन्दी ।।
दादू  और  रैदास ने  गाया  है झूमकर ।
छू गई है मन के सभी तार है  हिन्दी ।।
'सत्यार्थप्रकाश' बन अँधेरा मिटा दिया ।
टंकारा के दयानन्द की टंकार है हिन्दी ।।
गाँधी की वाणी बन भारत जगा दिया ।
आज़ादी के गीतों की ललकार है हिन्दी ।।
'कामायनी' का 'उर्वशी’ का रूप है इसमें ।
'आँसू' की करुण, सहज जलधार है हिन्दी ।।
प्रसाद   ने  हिमाद्रि   से ऊँचा  उठा दिया।
निराला की वीणा वादिनी झंकार है हिन्दी।।
पीड़ित  की पीर घुलकर यह 'गोदान' बन गई ।
भारत  का  है  गौरव, शृंगार  है  हिन्दी ।।
'मधुशाला' की मधुरता  है इसमें घुली हुई ।
दिनकर की वाणी है, हुंकार है  हिन्दी ।।
भारत  को  समझना  है  तो जानिए इसको ।
दुनिया भर में पा रही विस्तार है हिन्दी ।।
सबके दिलों को जोड़ने का काम कर रही ।
देश का स्वाभिमान है, आधार है हिन्दी ।।
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