यह शोक-पत्र है
मरी हुई संवेदनाओं के
सिरहाने बैठकर
लिखा गया।
इसे कृपया न पढ़े
जो प्रति मौत
कुछ मुआवजा देकर
हिसाब साफ कर देते हैं आगे-पीछे का।
इसे कृपया वे भी न पढ़े
जो मरे हुओं की प्रशस्तियां गाकर
तालियां बजवा लेते हैं
सहृदय पिछलग्गुओं से।
इसे कृपया वे तो बिल्कुल ही न पढ़े
जिनके नाखूनों के निशान
अभी भी मौजूद हैं मृतकों की देह पर।
हां, इसे सिर्फ वे पढ़े
जो चाकू को
मूठ की बजाय
फल की ओर से
पकड़ना सीख रहे हैं।