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शोक पर हर्ष कहिनैं / सुरेन्द्र प्रसाद यादव

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भीम केरोॅ पुत्रा घटोत्कच मारेॅ पड़ि गेलै
पाण्डव सेना मेॅ हाहाकार मची गेलै ।

परिजन केरोॅ आँखोॅ सें अश्रुधार चली गेलै
पुत्रा शोक रोॅ दुस्कर बयार चली गेलै ।

कृष्ण खुशी सेॅ विभोर हो गेलै
अर्जुन केॅ गल्लोॅ लगाय प्रसन्न छेलै ।

पीठ ठोकी केॅ ढ़ाढ़स देलकै, अर्जुन मधुसूदन सें पूछलकै
हिनकोॅ मृत्यु सें परिवार शोकोॅ में डुबलोॅ छै, हमरोॅ सेना भागी रहलोॅ छै।

आपनें रोॅ हँसै में गूढ़ बात छिपलोॅ छै
आपनें केॅ बताय में बाधा कैन्हें पड़ी रहलोॅ छै ।

कृष्ण बोललैµ आय हमरा लेली आनन्द छै
घटोत्कच मारलोॅ गेलै, अर्जुन दीर्घायु होय गेलोॅ छै ।

कर्ण रोॅ कवच-कुण्डल इन्द्र नेॅ माँगी लेलकै
होकरोॅ बदला में ओकरा शक्ति प्रदान करलकै ।

हौ समय तोरा लेली संकट रोॅ घड़ी छेलै
आबेॅ तोरा लेली, उत्तम समय आवी गेलोॅ छै ।

कर्ण ब्राह्मणभक्त सत्यवादी, व्रतधारी छै
शत्रु पर दया बरसाय वाला तपस्वी छै ।

आबेॅ कर्ण मरलोॅ नांखी समझोॅ
घटोत्कच वीर बालक केरोॅ नांखी समझोॅ ।

मतर हौ पापात्मा ब्रह्म दोषी दुष्ट प्रवृत्ति रोॅ छै
हौ दुष्टोॅ केॅ केनै मारे लेॅ चाहै छै ।

होकरोॅ मारना है समय में जरूरी बूझै छियै
हम्मेॅ यही वक्तोॅ रोॅ इन्तजार मेॅ छेलियै ।

हम्में पाण्डव रोॅ साथ सर्वदा छियै
अर्जुन हमरोॅ प्राण प्रिय छै ।

अमृत वाणी सुनी केॅ अर्जुन गदगद होय गेलै
सत्यकि नें पूछलकै, अमोध शक्ति नें छोड़लकै ।

युद्ध में अर्जुन उनके सम्मुख रही छेलै
कृष्ण नेॅ सात्यकि केॅ सही उत्तर देनें छेलै ।

दुर्योधन दुःशासन, शकुनी, कर्ण केॅ सलाह दै छेलै
अर्जुन पर अमोध शक्ति चलावे लेॅ कहै छेलै ।

कर्ण केॅ मोहित करे लेॅ छेलियै
अमोध शक्ति बाण मुत्यु रोॅ संकेत छेलै ।

अर्जुन रोॅ बारे में सोचै छेलियै, नींद नै आवै छेलियै
तारा गिनी केॅ रात काटै छेलियै ।

हम्में फिक्र रोॅ पयोधि में डुबलोॅ रही छेलियै
हतोत्साह निराशा मेॅ सर्वदा डुबलोॅ छेलियै ।

अर्जुन मृत्यु रोॅ दरवाजा सें लौटी गेलै
हमरोॅ मन भीतर सेॅ हर्षित होय गेलै ।