शोर मचाते बच्चे / श्रीप्रसाद
घर में आते, बाहर जाते
शोर मचाते बच्चे
किसी पेड़ के नीचे मिलकर
गाना गाते बच्चे
मीठे स्वर सुंदर है गाने
सुनकर मन खुश होता
शोर मचाएँ चाहे गाएँ
सबको भाते बच्चे
छोटे-बड़े साँवरे-गोरे
सब लगते हैं प्यारे
बात-बात में हँसते हैं
अथवा मुसकाते बच्चे
रंगबिरंगी पोशाकें हैं
जैसे अनगिन परियाँ
परियों की ही भाँति दौड़कर
आते-जाते बच्चे
कहते सभी किसी को काका
और किसी को मामा
बूढ़ों को बाबा कहकर मन
खुुश कर जाते बच्चे
ये बच्चे नाटक करते हैं
कुछ तो खूब थिरकते
अपने सुंदर कामों से
सबको बहलाते बच्चे
कभी पेड़ पर चढ़े हुए हैं
बैठे हैं बंदर से
कभी सभी बरगद के नीचे
खेल रचाते बच्चे
पास बुलाओ तो आएँगे
हैं तो सब अपने ही
रंगबिरंगे फूल खिले हैं
बड़े सुहाते बच्चे
सच्चे साफ हृदय के भोले
जो बोलें सो मीठा
हँसी-खुशी के साथ सभी के
मन बस जाते बच्चे।