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श्यामा माँ / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर

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माँ क्या मेरी नीग्रो है या कि
माँ क्या मेरी काली ?
माँ क्या मेरी श्वेतान्गिनी है
सफ़ेद होने पर ही अच्छी ?

माँ कभी भी काली नहीं होती
माँ न कभी नीग्रो
माँ नही किसी की सोनागाछी
माँ नही किसी की मूर्ति

सबके लड़के अच्छे नहीं होते
दाहिना हाथ कटा लड़का
ओ माँ तुम इस लड़के को
कहाँ से ले आई ?

माँ क्या किसी की काली होती है रे ?
माँ तो सबकी अच्छी होती है ।

मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर