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श्रीपाल सिंह ‘क्षेम’ / परिचय

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डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम का जन्म 02 सितम्बर 1922 को ग्राम -बशारतपुर ,सादनपुर जौनपुर में एक संभ्रांत क्षत्रिय परिवार में हुआ था | हिन्दी और संस्कृत विषय में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल कर अपना शोध कार्य डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम ने काशी विद्यापीठ से संपन्न किया |डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम का जब काव्य जगत में पदार्पण हुआ तब हिन्दी कविता का छायावादी स्वर मुखरित था |यही स्वर डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम का भी आजीवन बना रहा |हिन्दी के काव्य मंचों पर बड़ी तन्मयता से डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे |जौनपुर के इंग्लिश क्लब में इनकी उपस्थिति में भव्य कवि सम्मेलन हुआ करते थे ,जहाँ देश के नामी गिरामी कवि शामिल होते थे |डॉ० श्रीपाल सिंह क्षेम अध्ययन और अध्यापन के पेशे से जुड़े रहे |तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त [लगभग तीस वर्ष पूर्व ]हुए थे |कृतियाँ -गीत और कविता ,नीलमतरी ,ज्योतितरी ,जीवनतरी ,संघर्ष -तरी ,रूप तुम्हारा प्रीति हमारी ,रुपगंधा ,गीतगंगा ,अंतर्ज्वाला ,रख और पाटल ,मुक्त कुन्तला ,मुक्त गीतिका ,गीत जन के परासर की सत्यवती और कृष्ण द्वैपायन महाकाव्य |गद्य -छायावाद की काव्य साधना ,छायावाद के गौरव चिन्ह ,तथा छायावादी काव्य की लोकतान्त्रिक पृष्ठभूमि [शोध प्रबंध ]उपाधियाँ -हिन्दी सेवा संस्थान प्रयाग से साहित्य महारथी ,हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से साहित्य वाचस्पति की सर्वोच्च मानद उपाधि से विभूषित |वीर वहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विद्यालय ,जौनपुर द्वारा पूर्वांचल रत्न उपाधि से सम्मानित |ठाकुर गोपाल शरण सिंह काव्य पुरस्कार के प्रथम विजेता ,रघुराज पुरस्कार ,उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रतिस्ठित साहित्य भूषण सम्मान एवं अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं। विगत 22अगस्त 2011को इस साहित्य मनीषी का निधन हो गया।