भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्री सुदामा पांडे ‘धूमिल’ की १०-२ की मृत्यु का समाचार पढ़कर / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
संसद से
सड़क तक
कीर्तिमान गरजा सागर
सूर्य की आग उछालते
तुम्हीं
तुम दिखे
लोक-मानस के दर्पण में
फेफड़ों के पंचर जोड़ते
हवा भरते
भीड़ को
आगे ठेलते
उठा ले गया
अब
तुम्हें महाकाल
अस्पताल के बिस्तर से
तड़पता छोड़कर पीछे
लोक
और आलोक का कुनबा
रचनाकाल: १३-०२-१९७४