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श्री सुदामा पांडे ‘धूमिल’ की १०-२ की मृत्यु का समाचार पढ़कर / केदारनाथ अग्रवाल

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संसद से
सड़क तक
कीर्तिमान गरजा सागर
सूर्य की आग उछालते

तुम्हीं
तुम दिखे
लोक-मानस के दर्पण में
फेफड़ों के पंचर जोड़ते
हवा भरते
भीड़ को
आगे ठेलते

उठा ले गया
अब
तुम्हें महाकाल
अस्पताल के बिस्तर से
तड़पता छोड़कर पीछे
लोक
और आलोक का कुनबा

रचनाकाल: १३-०२-१९७४