भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्रृंगार / कविता कानन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
दरपन के सामने
बैठी सुंदरी
कर रही
सोलह श्रृंगार
पिया के लिये ।
बोला आईना -
खूब करो श्रृंगार
पर केवल
दूसरों के लिये ही नहीं
अपने लिये भी ।
रहो सदा प्रसन्न
मन सन्तुष्ट
तभी खिलेगा
अनुपम रूप ।
बाह्य आडम्बर
श्रृंगार प्रसाधन
क्षण भर के लिये
छिपा देते हैं
अवसाद
मन तथा तन का
मत करो दिखावा
खुल कर जियो
अपने लिये
आनन्द के लिये
अपनी आत्मा के
तभी होगी
तुम्हारे रूप के
श्रृंगार की
सार्थकता ...।