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श्वान - पीड़ित / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
जोंक जी
कई दिन से भरे हुए हैं
अपनी ही गली के कुत्तों से
बेहद डरे हुए हैं।
लोगों ने समझाया -
कुत्ते जब भी चौंकते हैं
तभी भौंकते हैं
क्योंकि वे हर चोर को
उसके शरीर से निकली
गन्ध से पहचानते हैं,
भले ही वे कुत्ते हों
आदमी को आदमी से
ज़्यादा जानते हैं।
तुम्हारे मन में चोर है
तुम ईमान को खूँटी पर टाँगकर
दफ़्तर जाते हो
तभी तो गली के कुत्तों से
इतना घबराते हो।
इस स्थिति के लिए
तुम खुद ही जिम्मेदार हो
भौंकता वही है,
जो कुछ जानता है
जो भीड़ में घुसे चोरों को
उनकी गन्ध से पहचानता है।
भौंकने वालों पर
लोग कब रीझते हैं?
चोर -
हमेशा कुत्तों पर खीझते हैं।