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संगसारी / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
बाहर रात है
भीतर अलगाव
यह आख़िरी दिन होना चाहिए
इस दुनिया का
- कि मैं उसके बारे में सोचती हूँ -
प्रेम का अन्त होता है
दिल
बचा रहता है उस स्त्री की तरह जिसे पत्थरों से मार दिया गया हो
यथार्थ के बीचों-बीच
मेरा दिल
सबसे बड़ा पत्थर है
जिसे ईश्वर ने उछाला है
मेरी तरफ ।