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संजय द्वारा पाण्डव-सेना वरनन / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान

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राजा, पाण्डव के सेनामा हो हुमरले आवैय रामा॥टेक॥
मीठी मीठी बोलिया में बोलत संजय रामा।
पाण्डव के सेना के दसतान हो सांवलिया॥हुमरले॥
घिरलो ते आवैय राजा पाण्डव सेनमा हो।
आंधियो तूफान शरमावैय हो सांवलिया॥
एक ओर काले काले बदरा हुमरैय रामा।
तरका तरकैय भय लागैय हो सांवलिया॥
तोहरो निडर पुत उनमत योधवा हो।
सीना तानी घुमी घामी ताकैय हो सांवलिया॥
लामी लामी डेग हानैय सेनमां निरखैय रामा।
मोछवा पै हाथ फेरी चलैय हो सांवलिया॥
इंगीन करैय आरु मने मन कुंरचैय हो।
जरिको न भय हुन का शालैय हो सांवलिया॥
गुरु ढ़िग जाय रामा बोलत बचनियां हो।
डींग हांकि हांकि ऐंठी जुठि हो सांवलिया॥