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संदेही पिड़ !/ कन्हैया लाल सेठिया
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रोही री छाती पर
गूमडै सी‘क ढ़ाणी
धिराणी री झर झर कंथा
कसूमल लुघड़ी
दुखणियैं री ललाई,
धिराणैं रो लीरा लीरा
धोळौ रमालियो राध,
मखवाय सा भिणकता
भूखा कोजा काळा टाबरिया,
एक संदेही पीड़
जकी में चभका तो चालै
पण हाल मूंडों बन्द है !