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संभावना / अशोक शुभदर्शी

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द्वार तभिये खुललै
हमरा लेली
संभावना के
जबेॅ वें बंद करी देलकै
द्वार आपनोॅ
हमरा लेली

हमरोॅ आँख खुली गेलै
अचानके तबेॅ
जबेॅ वें मुनी लेलकै
आपनोॅ आँख
हमरा लेली

हमरोॅ लोरे ऐलै
हमरोॅ हँसी लै केॅ ।