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संसार बनल बगिया हो / मोतीलाल साह 'कलाकार'

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॥हिण्डोला॥

संसार बनल बगिया हो, लागल माया हिण्डोर॥1॥
जीव चौरासी झुलै हो, बितलै कल्प करोर॥2॥
जनम-मरण के खंभा हो, मोह-ममता की डोर॥3॥
धरा-गगन बीच हिण्डोर, परलय पवन बरजोर॥4॥
सुर-नर-मुनि सब झूलै हो, दिन-रैन रहत हिलोर॥5॥
विधि हरिहर भी झूलै हो, कवन से करूँ निहोर॥6॥
कब तक झूला झूलबै हो, जिया काँपै मोर॥7॥
सत्पुरुष झुलाबै हिण्डोरा हो, विनती करौं कर जोर॥8॥
‘मोती’ गुरुपद लागी हो, अब न झूलबै बहोर॥9॥