संस्कार / अनिमेष कुमार
माय-बापोॅ सेॅ मिलै छै
हेकरै सेॅ लोगै सिनी चिन्है छै,
संस्कार, पीढ़ी दर पीढ़ी सेॅ आवै छै
बच्चा-बुतरु मेॅ हेकरोॅ झलक मिलै छै।
संस्कार सेॅ हमरोॅ बोली-चाली बनै छै
भाव-भंगिमा के घार जिनगी भर बहेॅ छै
आयकोॅ समाजोॅ में बड़ी तेजी सेॅ,
सेंध लागी रहिलोॅ छै।
विरासतोॅ केॅ विदेशी सिनी नेॅ,
तरह-तरह सेॅ छली रहिलोॅ छै
आबेॅ केना केॅ बचैवोॅ, आपनोॅ भेष
छौड़ा, छौड़ी बदली रहिलोॅ छै आपनोॅ केश।
यहै रंग चलतोॅ है व्यापार
केनका चिनभै आपने आप
थोड़ोॅ दिनोॅ में होय जैबोॅ, रंगा सियार
केना केॅ चिनभोॅ आपनोॅ संस्कार।
विरासत के बचाय के छै आभियो समय
अगर दोहोॅ आपनोॅ आप केॅ समय
हमरोॅ छै यहेॅ कहना,
तोरा सिनी के एक्केॅ गाना
भारत विश्व विजेता होतै केना?
जब ताॅय है नै छोड़वोॅ ढाँचा
केना केॅ बचतै संस्कारोॅ रोॅ साँचा।