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सखा सहित गये माखन-चोरी / सूरदास
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सखा सहित गये माखन-चोरी।
देख्यौ स्याम गवाच्छ-पंथ है गोपी एक मथति दधि भोरी॥
हेरि मथानी धरी माट पै माखन हो उतरात।
आपुन ग कमोरी मांगन हरि हूं पा घात॥
पैठे सखन सहित घर सूने माखन दधि सब खा।
छूंछी छांड़ि मटुकिया दधि की हंस सब बाहिर आ॥
आ ग कर लियें मटुकिया घर तें निकरे ग्वाल।
माखन कर दधि मुख लपटायें देखि रही नंदलाल॥
भुज गहि लियौ कान्ह कौ बालक भाजे ब्रज की खोरि।
सूरदास प्रभु ठगि रही ग्वालिनि मनु हरि लियौ अंजोरि॥