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सखि रे, गगन गरजे / भोजपुरी
Kavita Kosh से
सखि रे, गगन गरजे, हाँ रे बरिसल रे,
माधव हे, आरी हो हो बून रे एक।।१।।
सखि रे, फूलवा रे फूलइले, सखि रे फूलवा रे फूलइले,
अब हो अनुराग।।२।।
हाँ रे, हो हो, दवना रे फूला भवँरा के बाटा हे,
हाँ रे, भवँरा के रे बाट हे।।३।।
अरी, हो हो, दवना रे फूला सखि रे कटबों में अरूने,
सखि रे, कटबों में अरुने,
अब आरी, झुन काँट हे, आरी, अब हो, झुन काँ हे,
आरी हो, रुन्हींए देबों, हाँ हाँ रे,
भवँरा के बाट हे, हा-री हो-हो, रुन्हीं ए देबों।।४।।