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सखी री लाज बैरण भई / मीराबाई

राग जौनपुरी

सखी री लाज बैरण भई।
श्रीलाल गोपालके संग काहें नाहिं गई॥

कठिन क्रूर अक्रूर आयो साज रथ कहं नई।
रथ चढ़ाय गोपाल ले गयो हाथ मींजत रही॥

कठिन छाती स्याम बिछड़त बिरहतें तन तई।
दासि मीरा लाल गिरधर बिखर क्यूं ना गई॥

शब्दार्थ :- बैरण = बैरिन, बाधा पहुंचाने वाली। नई = रथ जोत कर। तन तई =देह जल गई