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सगपण : अेक / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
Kavita Kosh से
धोरौ
ठाह नीं कद
जा बैठ्यौ
आंधी रै साथै
दूजी ठौड़।
बापड़ो रूंख
जीवै तौ है
बिलखती जड़्यां साथै
स्यात आवै पूठौ
कोई धोरौ
आंधी रै साथै
राखै मरजाद
पूरै साध
रूंख री।