भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सचमुच / पंकज चौधरी
Kavita Kosh से
सचमुच में आप
बदलाव चाहते हैं?
सचमुच में आप
परिवर्तन चाहते हैं?
सचमुच में आप
दुनिया को बदल देना चाहते हैं?
तो हटाइए
बोरिंग के उस मुहाने पर से
अपना जकड़ा हुआ हाथ
जिसकी कल-कल करती धारा को
आपने आज तक निकलने ही नहीं दिया!