भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच्चाई / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धन्य-धन्य ई देश जहाँ पर
नै केकर्हौ बीमारी छै
टीलो-टाकर नै केकर्हौ में
नै केकर्हौ लाचारी छै।

तोड़-फोड़ नै करै घोटाला
खोलै रोज केवाड़ी छै
बिना दवा आरो दारू के
छूटै सभे बिमारी छै।

जन्नें-तन्नें बंशी खेलै
चारा के फुलवारी छै
झूठ मसरवरी नै केकर्हौ में
मुरदा खाय बुआरी छै।

लेन-देन रे खुल्लम-खुल्ला
मेल दूध आ पानी छै
घुसखोरी नै कुर्सी-कुर्सी में
केकर्हौ नै लाचारी छै।

ई धरती के माटी प्यारऽ
सभ्भै केरऽ दुलारी छै?
पहरा पर छै छीना-झपटी
सबके-सब जोगाड़ी छै।

ई धरती पर बलिबलिहारी
सूतै टांग पसारी छै
धन्य प्रांत ‘मथुरा’ रे अपनऽ
धन-धन सभे बिहारी छै।