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सज्जन और दुर्जन / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
सज्जन परहित करत नित दुर्जन अनहित घात।
कहा बिगारो विष्णु ने भृगु ने मारी लात।।
भृगु ने मारी लात रीति यहि दुर्जन केरी।
राम गए बनोवास खुटाई केकई चेरी।।
विष्णु रहे निज धाम राम बनोवास मुदित मन।
कहैं रहमान सदाहित करहीं दुख उठाय निज तन पर सज्जन।।