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सड़कें तो हैं, संकरी गली लेकिन है मेरे वास्ते / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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सड़कें तो हैं, संकरी गली लेकिन है मेरे वास्ते
आज़ाद हूँ, फिर हथकड़ी लेकिन है मेरे वास्ते
चलता हूँ मैं तो सामने धरती पे रखता हूँ नज़र
फिर हर क़दम पर त्रासदी लेकिन है मेरे वास्ते
लाचारियाँ, मायूसियाँ, नाकामियाँ हैं चार सू
ये ज़िंदगी भी ज़िंदगी लेकिन है मेरे वास्ते
कोई किसी के वास्ते हिंदू, मुसल्माँ, सिक्ख हो
हर आदमी इक आदमी लेकिन है मेरे वास्ते
तुम ने बहुत चाहा 'यक़ीन' अब पाँव फ़ूलों पर रखूँ
दुनिया फ़कत काँटों भरी लेकिन है मेरे वास्ते