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सड़कों, चौराहों पर मौत और लाशें-11 / पाब्लो नेरूदा

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»  सड़कों, चौराहों पर मौत और लाशें-11

मैं उन शहीदों से बात करना चाहता हूँ
लगता है वे लोग यहीं हैं
मेरे भाइयो! संघर्ष जारी रहेगा
अपनी लड़ाई हम जारी रखेंगे
कल-कारख़ानों में, खेत-खलिहानों में
गली-गली में यह लड़ाई जारी रहेगी
शोरा की खदानों में
यह लड़ाई जारी रहेगी
यह लड़ाई जारी रहेगी
वृक्षहीन समतल भूमि पर
ताम्बे की भट्ठियों में धधक उठेंगी
लाल हरी लपटें
सुबह-सुबह कोयले का काला धुआँ
भरता जा रहा है जिन कोठरियों में
वह खींची जाएगी
युद्ध की रेखा
और हमारे हृदयों में
ये झंडे जो तुम्हारे ख़ून के गवाह हैं
जब तक इनकी संख्या
कई गुना बढ़ नहीं जाती
सिर्फ़ लहराते ही नहीं रहें
और तेज़ी से फड़फ़ड़ाने लगें
अक्षय वसन्त के इन्तज़ार में
लाखों-हज़ार पत्तों की तरह

अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय