भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सड़क-चार / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊंट सुनता है
सड़क के भीतर से निकलती
गांव से गई
खुशियों को
जो लौटती है शहर से
चीखें बन कर
इस लिए
ऊंट चलना चाहता है
सड़क को छोड़ कर
मगर
बेबस है
अपनी नाक के कारण
जिसकी मोहरी
थाम कर गांव
जाना चाहता है
शहर में
सड़क के सहारे
बेधड़क।