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सड़क मुसाण / विनोद कुमार यादव
Kavita Kosh से
पै‘ली गळी ही
पगडांडी अर गेला हा
घर सूं निकळ
आंवता गळी में
गळी सूं गेलै
करता गांवतरो
पूगता सोरफ सूं
ठौड़ ठिकाणै
हळवां-हळवां।
पछै आयो विकास
चाली कळ
चकरिया
चाल्या चकरिया
वे बण्या
हाईवे बण्या
चौड़ी सड़कां
मेगा हाईवे
जिण माथै
बगै नीं उडै मानखो
आयगी संकड़ाई
जीव में जीव रो
ठाह नी कियां
होग्या लोग ग्लोबल।
भाज्या फिरै लोग
विकास रै रथ
किणी नै नीं ओसाण
सड़कां मांग भख
बणी मुसाण।