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सड़क / ओक्ताविओ पाज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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एक लम्बी और सुनसान सड़क ।
अन्धकार में चलता जाता हूंँ और
लड़खड़ाता हूँ और गिर जाता हूँ
और उठ खड़ा होता हूँ,
और किसी अन्धे-सा चलता चला जाता हूँ,
मेरे क़दम
ख़ामोश पत्थरों और
सूखे पत्तों को कुचलते हैं ।

मेरे पीछे भी कोई कुचलता है,
पत्थरों , पत्तों को :
अगर मैं धीमा हो जाता हूँ,
वह भी धीमा हो जाता है;
अगर मैं दौड़ता हूँ,
वह भी दौड़ता है
मुड़कर देखता हूँ :
कोई नहीं है ।

रोशनी नहीं और दरवाज़ा नहीं,
सिर्फ़ मेरे क़दम मुझे पहचानते हुए,
मुड़ता और मुड़ता जाता हूँ हर कोने पर
जो मुझे सड़क पर आगे बढ़ाए जाते हैं
जहाँ कोई इन्तज़ार नहीं करता,
कोई मेरे पीछे नहीं होता,
जहाँ मैं किसी के पीछे होता हूँ
जो लड़खड़ाता है
और उठकर खड़ा होता है
और जब मुझे देखता है तो
कहता है : कोई नहीं ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य