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सतरंगी देश / रामदेव महाबीर

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दुनिया में देश कई
लेकिन ऐसा है नहीं
देश सूरीनाम जैसा
और कौन महान है
लहर की दीवार
नदियों में यहाँ जब गूँजती
तभी लगता यहाँ
सूरीनाम में क्या जान है
लोग हो धनवान चाहे
या गरीब किसान हो
सभी है कुछ खास
सब को देश की है पहचान
बोलियाँ हैं कई
पहनावा है कई देश में
किन्तु सब के हृदय में
सूरीनाम का मान है
सतरंगी है देश मेरा
आपस में मिलकर रहते हैं
‘देव’ कहे इसी बात पर
कितना हमें गुमान है।