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सत्ता का विकेन्द्रीकरण / देवी प्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
गृहमंत्री इस बात से ख़ुश थे कि पुलिस प्रमुख ने बहुत नावाजिब किस्म की क्रूरता दिखाई जो
इस बात से प्रसन्न था कि एस० पी० ने कम क्रूरता नहीं दिखाई
जो इस बात से ख़ुश था कि डी० एस० पी० ने अप्रतिम संवेदनहीनता दिखाई जो इस बात से भरा-भरा था कि
इंस्पेक्टर ने शर्मिंदा कर देने वाला वहशीपन दिखाया
जो इस बात से मुतमइन था कि सब इंस्पेक्टर ने दिल दहला देने वाली हिंसा का मुज़ाहिरा किया
जो कांस्टेबल की क्रूरता से अत्यन्त सन्तुष्ट था।
तो इस पहेली का जवाब मिलता दिख रहा है कि
चौराहे पर हिलते नामामूलम सिपाही में गृहमंत्रियों के चातुर्य
उनकी अपारदर्शिताएँ, आत्ममुग्धताएँ, दबंगई, क्रूरताएँ, मक्कारियाँ
एक साथ क्यों पाए जाते हैं।