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सत्य आ हम / मन्त्रेश्वर झा

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पहिले दिन जखन देखल सूर्यके हम
सर्म्पूा गगन मे चमकैत,
असंख्य ताराक नृत्य,
चन्द्रमाक शीतल प्रकाश,
लागल छल हमरा
जे हम छी तेँ देखि रहल छी विराट,
सभ किछु तऽ घुमैए हमरे चारूकात,
हँ, लागल छल हमरा
जे सत्य छी हमहीं
सत्य अछि हमर अस्तित्व
मुदा कते भ्रम मे रही हम।
बीतल जा रहल छी स्वयं
आ अक्षुण्ण अछि प्रकृतिक
चिरन्तन लीला
भेल जा रहल छी दिन पर दिन
असमर्थ, अक्षम
छूटल जा रहल अछि सभटा प्रकाश
समय अछि ओहिना अपन धुरी
पर, चलैत, स्थिर, निर्द्वन्द्व
बढ़ल जा रहल अछि हमर अपने अन्हार।