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सत की साथण पाणी नै चाली / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सत की साथण पाणी नै चाली, या तुलसां गैल होली हो राम
भरण गई जल जमना की झारी हो राम
सत की साथण न्यू उठ बोली या तुलसां ओड कुवारी हो राम
भरण गई जल जमना की झारी हो राम
लोटा भी पटक्या, झारी भी पट्की या रोंदड़ी घर आई हो राम