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सदा के लिए / दिनेश कुमार शुक्ल

संसार से सदा के लिए
लुप्त हो जाना एक रंग का
देखा हमने
उन आँखों में

सदा के लिए
मौन हो जाना एक शब्द का
सुना हमने उस कुहराम में

इन दिनों
रोज कोई न कोई प्रजाति
लुप्त हो जाती है सदा के लिए

ये दिन
उदय होने के पहले ही
अस्त हो जाते हैं।