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सदा चार चवाइन के डर सों / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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सदा चार चवाइन के डर सों
नहिं नैनहु साम्हे नचायो करैं ।
निरलज्ज भई हम तो पै डरै
तुमरो न चवाव चलायो करैं ।
'हरिचंद' जू वा बदनामिन के
डर तेरी गलीन न आयो करैं ।
अपनी कुल-कानिहुँ सों बढ़िकै
तुम्हरी कुल-कानि बचाओ करैं ।