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सदा मिलल हे / राम सिंहासन सिंह

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हमर हृदय के सदा मिलल हे
सब दिन तोर सहारा!
सूना नभ में भी मिलल हे
यहि से कहीं किनारा!!

एक छोर पर उसा अयलह
फैलल कुछ उजियारा!
औउ उधर से संध्या घिरलह
छयलह फिर अँधियारा!!

यही बीच से कभी चमकलइ
मनुआ में ध्रुव तारा!
अँखियन से भी कभी टपकलइ
आँसू खारा-खारा!!

पाप-पुन्य आउ सुख-दुख में ही
बीतल जीवन सारा!
जाने ठौर कहाँ पर पइबऽ
ई गंगा के धारा!!

एक आसरा तोहरे हे अब
तू ही माँग सँवारा!
तू ही पूरन करबऽ हमर
सपना प्यारा-प्यारा!!