भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्देह / कृष्ण कल्पित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आख़िरी पुकार
कभी अनसुनी नहीं रही

मरने-मरने को होते थे कि जी जाते थे

इसी से ईश्वर के होने का सन्देह होता था
कोई था जो हमें बचाता रहता था !