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सन्देह / कृष्ण कल्पित
Kavita Kosh से
आख़िरी पुकार
कभी अनसुनी नहीं रही
मरने-मरने को होते थे कि जी जाते थे
इसी से ईश्वर के होने का सन्देह होता था
कोई था जो हमें बचाता रहता था !