भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्न छै अकास / राजकुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सन्न छै अकास, आस-पास पानी-पानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

मोॅन के ओसारा पर, आँखी के तारा पर
मेहोॅ के नेहोॅ में, नद्दी के धारा पर
लीखै छी कागद रोॅ नाव के कहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

मरुवैलोॅ पत्ता छै, धूप-धूप कत्ता छै
पनहतलोॅ भातोॅ पर, रात अमर लत्ता छै
बाया रोॅ पखना पर, पीर रोॅ पिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

टिटही टौवाबै छै, झिंगुर नै गाबै छै
पपिहा रोॅ दादुर रोॅ, कंठ घरघराबै छै
दहलोॅ छै कहीं कहीं, दरकलो टेकानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

उम्मस छै उमतैलोॅ, खाली-खाली पैलोॅ
पीरोॅ-पीरोॅ धरती, घैलोॅ छै अलगैलोॅ
ऐतोॅ पाबस हमरोॅ, पंख पर बिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी