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सन्न छै अकास / राजकुमार
Kavita Kosh से
सन्न छै अकास, आस-पास पानी-पानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी
मोॅन के ओसारा पर, आँखी के तारा पर
मेहोॅ के नेहोॅ में, नद्दी के धारा पर
लीखै छी कागद रोॅ नाव के कहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी
मरुवैलोॅ पत्ता छै, धूप-धूप कत्ता छै
पनहतलोॅ भातोॅ पर, रात अमर लत्ता छै
बाया रोॅ पखना पर, पीर रोॅ पिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी
टिटही टौवाबै छै, झिंगुर नै गाबै छै
पपिहा रोॅ दादुर रोॅ, कंठ घरघराबै छै
दहलोॅ छै कहीं कहीं, दरकलो टेकानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी
उम्मस छै उमतैलोॅ, खाली-खाली पैलोॅ
पीरोॅ-पीरोॅ धरती, घैलोॅ छै अलगैलोॅ
ऐतोॅ पाबस हमरोॅ, पंख पर बिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी