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सपने-2 / सुरेश सेन निशांत
Kavita Kosh से
उन्होंने नींद में चहचहाने वाली
उस छोटी-सी रंग-बिरगी चिड़िया के
पंखों को काट दिया
ज़हरीले धुएँ से भर दिया
उसकी आँखों का सारा आकाश
कहीं कोई ख़ून का छींटा नहीं गिरने दिया
नहीं गूँजने दी किसी घायल सपने की
हल्की-सी भी चीत्कार