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सपनों का मायाजाल / सदानंद सुमन
Kavita Kosh से
सपनों के साथ उठना
सपनों के साथ बैठना
सपनों के साथ चलना-फिरना
सपनों के साथ सोना-जागना
सपनों के साथ जीना और
किसी दिन अचानक चुपचाप
सपनों के साथ मर भी जाना!
जीने-मरने के बीच
सपनों का रहना जिन्दा
कभी समाप्त न होने वाली
उम्मीद की वह डोर है।
जिसकी ऊर्जा से अन्ततः
कट ही जाती
जाने कितनी जिन्दगियाँ!
सचमुच
जिन्दा रहने के लिए
यह सपनों का मायाजाल भी
कितना मोहक
कितना आकर्षक है?