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सपनों की दुनिया-3 / देवेन्द्र कुमार देवेश
Kavita Kosh से
यदि कभी कोई / एक मोहक-सा सपना
तैर भी जाता है अनायास / हमारी आँखों में
क्यों फिर उसे / सहेजना. संभालना और ले आना
हमारी इस जागती दुनिया में / होता है मुश्किल
अवचेतन से चेतन की यात्रा में
क्यों खो जाते हैं हमारे सन्दर सपने?