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सपनो में कई मारिके सर करते हैं / रमेश तन्हा

 
सपनो में कई मारिके सर करते हैं
हम दिन की हक़ीक़त से मगर डरते हैं
गर सामना हो जाये हक़ीक़त का कहीं
क्या क्या न गुमां पालते हैं, मरते हैं।