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सबके अपने-अपने गुण हैं / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
हँसी उड़ाओ मत लम्बू की
लम्बा है तो इससे क्या!
भले देखने में बिजली का
खम्भा है तो इससे क्या!
हँसी उड़ाओ मत छोटू की
छोटा है तो इससे क्या!
लम्बाई का उसके तन में
टोटा है उससे क्या!
हँसी उड़ाओ मत मोटू की
मोटा है तो इससे क्या!
अधिक हेल्थ का उसके हिस्से
कोटा है इससे क्या!
हँसी उड़ाओ मत पतलू की
पतला है तो इससे क्या!
सींक-सलाई के जंगल से
निकला है तो इससे क्या!
लम्बू-छोटू-मोटू-पतलू
सब अपने सहपाठी हैं,
सबके अपने-अपने गुण हैं
भले अलग क़द-काठी हैं।