भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सबके पास हैं शब्द / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
उसके मूंह से निकला
सही समय और अवसर पर
एक शब्द
सबने कहा वाह!
क्या कविता है?
सबके पास हैं शब्द
पर कितनों के शब्द
बन पाते हैं कविता...