सबों ने वाह-वाह किया / राजकिशोर सिंह
मैं ऽड़ा हुआ
मैं बड़ा हुआ
मूछें मेरी आने लगी
दादी मेरी दिऽाने लगी
अब
बात बड़ों की काटने लगा
भाई से हिस्सा बाँटने लगा
अपनों के प्रति आह नहीं
लोगों की थी परवाह नहीं
तब
मैं ऊँचा होने लगा
अपने को ऽोने लगा
अब मैंने
थोड़ा और विकास किया
और ऊँचा होने का प्रयास किया
मेरे इस विकास पर
तब विऽंडित प्रांत हुआ
अब मैं भी संभ्रांत हुआ
अब मैं अकड़ने लगा
दोस्ती के लिए
विदेशियों को पकड़ने लगा
देश को तोड़ने के लिए
वेश को छोड़ने के लिए
मैंने उनका साथ दिया
दोस्ती का हाथ दिया
जब देश का विनाश हुआ
तब मेरा जुनून पास हुआ
देश के बँटवारे पर
मैं मोटा हुआ
देश मेरा छोटा हुआ
अब
जनतंत्रा की बात चलाने
मनतंत्रा की घात लगाने
अपने लिए
मैंने एक गाँव ढूँढा
चुनाव के लिए
मैंने एक ठाँव ढूँढा
अजीब मेरा अब ग्राम हुआ
बँटवारे के लिए
मैं बदनाम हुआ
जीवन मेरा नाकाम हुआ
इस आत्मग्लानि से
इस पानी-पानी से
वहाँ मैंने आत्मदाह किया
सबों ने वाह-वाह किया।