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सब कछ हतै कन्ट्रौल में तौ फिर परेसानी ऐ चौं / नवीन सी. चतुर्वेदी

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सब कछ हतै कन्ट्रौल में तौ फिर परेसानी ऐ चौं।
सहरन में भिच्चम –भिच्च और गामन में बीरानी ऐ चौं॥

जा कौ डस्यौ कुरुछेत्र पानी माँगत्वै संसार सूँ।
अजहूँ खुपड़ियन में बु ई कीड़ा सुलेमानी ऐ चौं॥

धरती पे तारे लायबे की जिद्द हम नें चौं करी।
अब कर दई तौ रात की सत्ता पे हैरानी ऐ चौं॥

सगरौ सरोबर सोख कें बस बूँद भर बरसातु एँ।
बच्चन की मैया-बाप पे इत्ती महरबानी ऐ चौं॥

सब्दन पे नाहीं भाबनन पे ध्यान धर कें सोचियो।
सहरन कौ खिदमतगार गामन कौ हबा-पानी ऐ चौं॥