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सब नाजन में नाज सभा सब मिल कर आवै रे / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सब नाजन में नाज सभा सब मिल कर आवै रे।
चना की कइयै लम्बी नाक, पिसी लरकौरी आवै री।
जवा की कइये ठाकुर जात कै मूँछ मरोरत आवै री।
उरद की कइये वम्मन जात कै तिलक सँवारत आवे री।
मूँग की कइये पतुरिया जात कै पटिया पारत आवै री।
जुड़ई की कइये अहीरन जात कै ददुआ फुरकत आवै री।
मटर की कइये बरार जात परौ मृदंग बजावै री।
कोदंे की कइये कुम्हरा की जात कूढ़ बकोड़त आवै री।