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सब पुरानी निशानियाँ गुम-सुम / ज्ञान प्रकाश विवेक

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सब पुरानी निशानियाँ गुमसुम
ज़िन्दगी की कहानियाँ गुमसुम

घर के बाहर पिता है फ़िक्रज़दा
घर में रहती हैं बेटियाँ गुमसुम

एक कम्बल था गुम हुआ यारो
अब के गुज़रेंगी सर्दियाँ गुमसुम

झोंपड़ी की तो ख़ैर फ़ितरत थी
हमने देखीं अटारियाँ गुमसुम

दश्ते-तन्हाई भी अजब शय है
पेड़ ख़ामोश , झाड़ियाँ गुमसुम

क़त्ल कर आई हैं चरागों का
देख, बै्ठी हैं आँधियाँ गुमसुम.