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सब मित्रों को ॐ नमस्ते, नारा सीता राम मेरा / प. रघुनाथ

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विशेष:- लोककवि की स्वंय की शादी का निमंत्रण

सब मित्रों को ॐ नमस्ते, नारा सीता राम मेरा,
श्रीमान बिशम्भर पंडित जी को, जयहिंद और प्रणाम मेरा ।।टेक।।

भगवत, भुच्चन और मोहरसिंह, सांग मे पहलवान छोटे,
भरतसिंह ढोलकिया भी जो, हरदम खां लयदारी मे झोटे,
बाबुराम चायवाला जो, गर्म गर्म भरदे लोटे,
बख्त पड़े पै तुम यारों नै, मेरे लिए दुःख सुख ओटे,
तुम रळमिल कै म्हारै सब आईयो, है शादी का काम मेरा।।1।।

अंग्रेजी तारीख बीस और, रविवार का दिन भाईयो,
मंडप की शोभा देना, शोभा कोन्या बिन भाईयो,
ब्याह शादी मै आना चाहिए, मत करना टिनफिन भाईयों,
थारे मिलन नै उस दिन को, रहा आन्गलियों पै गिन भाईयों,
मेरी शादी म्य आज्याइयों, हाजिर पावैगा चाम मेरा।।2।।

अपने घर का रास्ता आपसे, बिलकुल साफ़ बयान करूँ,
एक छोटी लाइन शाहदरा बदले, सब रास्ता आसान करूँ,
जिला मेरा मेरठ लगता, एक कुटियाँ म्य गुजरान करूँ,
स्टेशन है मेरा गोठरा, वहां सवारी सामान करूँ,
खास पखरपुर के धोरै, फिरोजपुर है ग्राम मेरा।।3।।

सूबा देहली पोस्ट नजफगढ़,गाँव रेवलां बसता,
स्टेशन बिजवासन का, थारा देख्या भाला रस्ता,
मेरे नाम का फूल मिलेगा, एक खिला हुआ गुलदस्ता,
कहै रघुनाथ आजादी तज, फंदे के म्हा फंसता,
लयदारी से बांच लियों, लिखा हुआ इस्टाम मेरा।।4।।